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जनता से बदसलूकी करना दरोगा जी को पड़ गया भारी




 

कानपुर : (सूरज कश्यप/गुड्डू सिंह) वैसे तो सभी विभाग जनता की सेवा व देश हित के लिए बनाए जाते हैं पर पुलिस प्रशासन एक ऐसा विभाग होता है जिसका कार्य अन्य सभी विभागों से हटकर होता है और इस विभाग के प्रति लोगों की सहानुभूति भी अलग ही होती है जिस तरह देश की सीमाओं पर तैनात सुरक्षाकर्मी बाहरी तत्वों से अपने देश की रक्षा करते हैं ठीक उसी प्रकार देश के अंदर रहकर पुलिसकर्मी आम जनमानस के जान-माल की रक्षा करती है पर कानपुर में कुछ पुलिस कर्मियों की गलत कार्यशैली के कारण समस्त महक का नाम खराब हो रहा है । आपको बता दें देश की सेवा में दिन रात सेवा देने वाले रक्षक अब भक्षक बनने का कार्य कर रहे हैं कानपुर में ऐसे ही एक नहीं बल्कि तीन-तीन मामले अलग-अलग थाना क्षेत्रों से देखने को मिले है । जहाँ काकादेव थाना क्षेत्र के सब इंस्पेक्टर सुरेश पाल सिंह के द्वारा एक व्यक्ति को बुरी तरह गाली बाकी जा रही है । तो वही दूसरी ओर चकेरी थाना क्षेत्र के संगवा चौकी में तैनात सब इंस्पेक्टर अजय सिंह गेहूँ लेने जा रहे युवक पर अपना रौब दिखाते दिख रहे है । तो वही पनकी थाना क्षेत्र के सब इंस्पेक्टर धीरेंद्र कुमार एक शिकायतकर्ता से अपशब्दों का प्रयोग करते नजर आए । 

 

बताते चलें कि सरकार व जिले के आला अधिकारियों द्वारा जनता और पुलिस के बीच एक अच्छे रिश्ते बनाने की बात कहीं जाती है परंतु कुछ पुलिस कर्मियों की गलत कार्यशैली के कारण पूरे महकमे को शर्मिंदा होना पड़ता है हालांकि इन तीनों घटनाओं को कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने गंभीरता से लिया है और इन सभी के संबंधित क्षेत्राधिकारी को घटना की जाँच सौंपी गई है । और साथ ही यह भी कहा गया है कि जाँच रिपोर्ट आने के बाद घटना में दोषी पाए जाने वाले सब इंस्पेक्टर पर सख्त से सख्त विभागीय कार्यवाही की बात कही गई थी जिसमे काकादेव में तैनात उप निरीक्षक सुरेश पाल सिंह की जांच क्षेत्राधिकारी स्वरूप नगर के द्वारा की गई जिसमें प्रथम दृष्टया उप निरीक्षक को दोषी पाए जाने पर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने दोषी उप निरीक्षक सुरेश पाल को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी ।

 

सवाल यह है कि क्या ऐसी कार्यशैली से पुलिस और जनता के बीच की दूरियों को खत्म किया जा सकता है या नहीं जब जिले के उच्च अधिकारी जनता के साथ नम्रता से पेश आते हैं तो इन निचले स्तर के अधिकारियों को आखिर किस बात का घमंड रहता है ।



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