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दबिश देने गई पुलिस पर किया हमला,आठ पुलिसकर्मी शहीद





 

 



कानपुर : (सूरज कश्यप/गुड्डू सिंह) बीती रात किसी मामले में आरोपी को पकड़ने गए बिठूर पुलिस पर कुछ बदमाशों ने हमला कर दिया जिसमें थानाध्यक्ष बिठूर के साथ दबिश देने गए सिपाही गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए । घटना की सूचना पर पहुंचे क्षेत्राधिकारी बिल्हौर देवेंद्र मिश्र और थाना अध्यक्ष शिवराजपुर महेश यादव के साथ सब इंस्पेक्टर व थाने पर मौजूद पुलिस बल घटनास्थल पहुंचा और बदमाशों की घेराबंदी करना शुरू की तभी पहले से घात लगाए बैठा बदमाश विकास दुबे व उसके साथियों ने क्षेत्र अधिकारी व अन्य पुलिसकर्मियों पर ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर दी । जिससे क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्र,थानाध्यक्ष महेश यादव व एक सब इंस्पेक्टर के साथ पाँच सिपाही मौके पर ही शहीद हो गए । घटना की जानकारी जैसे ही जिले के आला अधिकारियों को लगी तो तत्काल घटनास्थल पर कानपुर नगर के आस-पास जिलों से भारी फोर्स के साथ एडीजी जोन कानपुर,आईजी रेंज कानपुर,वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कानपुर के साथ भारी मात्रा में पुलिस बल घटनास्थल पहुंचा और पूरे क्षेत्र को पुलिस के द्वारा घेराबंदी कर बदमाशों की तलाश शुरू कर दी गई । घटना की जानकारी जैसे ही पुलिस मुख्यालय डीजीपी ऑफिस पहोंची तो डीजीपी के आदेश के बाद तत्काल एडीजी लॉयन ऑर्डर को घटनास्थल भेज कर मामले को गंभीरता से लेने को कहा गया । 

 

आपको बता दें शिवली का रहने वाला विकास दुबे पहले भी कई हत्याओं के मामलों में शामिल हो चुका है पुलिस के आंकड़े की बात करें तो विकास दुबे के ऊपर लगभग डेढ़ सौ अपराधिक मामले पुलिस में दर्ज हैं और कई मामले तो ऐसे हैं जिनमें विकास दुबे का नाम शहर के लिए काफी चर्चा का विषय बना हुआ था ऐसे ही कुछ मामले हम आपको बताते हैं हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे द्वारा वर्ष 2000 में हिस्ट्रीशीटर विकास  दुबे पर जेल में रहकर रामबाबू यादव की हत्या कराने का आरोप लगा था तो वही उसी वर्ष 2000 में शिवली थाना क्षेत्र स्थित ताराचंद्र इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडे की हत्या में भी विकास दुबे का नाम आया था,तो उसी के कुछ समय बाद दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला कि थाने के अंदर घुसकर हत्या कर दी थी । हालांकि इस मामले में कोई चश्मदीद गवाह ना होने के कारण बहुत ही जल्द विकास दुबे जेल से रिहा हो गया था,संतोष शुक्ला के हत्याकांड के बाद से विकास दुबे काफी दिनों से फरार चल रहा था । जिसके बाद एसटीएफ टीम के द्वारा विकास दुबे को लखनऊ से पकड़ लिया गया था पूछताछ के दौरान विकास ने बताया था की 1996 में कानपुर के चौबेपुर विधानसभा क्षेत्र से हरिकृष्ण श्रीवास्तव व संतोष शुक्ला चुनाव लड़े थे जिसमें हरिकृष्ण श्रीवास्तव विजई घोषित हुए थे । जिसके बाद हरिकृष्ण द्वारा विजय जुलूस निकाले जाने के दौरान हरिकृष्ण और संतोष शुक्ला के बीच गंभीर विवाद हो गया था जिसमें विकास दुबे का नाम भी आया था और उसके खिलाफ मुकदमा भी लिखा गया था । जब से विकास दुबे संतोष शुक्ला को अपना दुश्मन समझने लगा और अंत में आखिर शिवली थाने के अंदर घुस कर भाजपा नेता दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला को गोलियों से भून डाला था ।

 

आपको बताते चलें विकास दुबे को राजनीतिक संरक्षण होने के कारण आए दिन या बड़े-बड़े घटनाओं को अंजाम देता रहता था । जिसके बाद या आसानी से छूट जाया करता था जिसके कारण आज इसके हौसले इतने बुलंद हो गए कि हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पुलिस और आम इंसान में कोई फर्क ना दिखा और पुलिस के जवानों पर विकास दुबे व उसके अन्य साथियों द्वारा अंधाधुंध फायरिंग कर पुलिस के आठ जवानों को शहीद कर दिया |

 

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा घटना को गंभीरता से लेते हुए आलाधिकारियों से मामले की रिपोर्ट मांगी है ।


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